इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू और उनके विपक्षी बेनी गांत्ज में मिलीजुली सरकार बनाने को लेकर सहमति बन गई है। इसके साथ ही यहां चौथे चुनाव का संकट टल गया है। इजराइल में एक साल के भीतर तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में न तो नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के गठबंधन और न ही बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के गठबंधन को बहुमत मिल रहा था।
ऐसे में दोनों ही सरकार बनाने में फेल हो रहे थे। 2 मार्च को हुए तीसरी बार चुनाव में भी किसी को बहुमत नहीं मिला था।
नेतन्याहू बहुमत पाने से तीन सीट से चूक गए थे
लिकुड पार्टी को 36 सीटें और उसकी (लिकुड पार्टी) अगुआई वाले राइट विंग संगठन को 58 सीटें मिली थीं। मुख्य विपक्षी बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी को 33 सीटें और उसकी (ब्लू एंड व्हाइट) अगुआई वाले वामपंथी गुट को 55 सीटें मिली थीं। 120 सीट वाली इजराइल की संसद में बहुमत के लिए 61 सीटों की जरूरत होती है। चुनाव में इन मुख्य पार्टियों के अलावा अन्य छोटी पार्टियों ने 15 सीटें हासिल की थीं। इस चुनाव में नेतन्याहू बहुमत पाने से तीन सीट चूक से गए थे।
बेनी गांत्ज को मिला था 14 अप्रैल तक समय
राष्ट्रपति ने सबसे पहले बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया था। यह समय 14 अप्रैल को खत्म हो गया था। बेनी गांत्ज ने राष्ट्रपति से 28 दिन का समय और देने की मांग की थी, जिसे राष्ट्रपति ने नकार दिया था। इसके बाद गांत्ज ने नेतन्याहू से मतभेद भुलाकर साझा सरकार बनाने की अपील की थी। फिर दोनों ने राष्ट्रपति से समय मांगा था।
दोनों में मिलकर सरकार बनाने पर सहमित बन गई
अब दोनों में मिली जुली सरकार बनाने पर सहमति बन गई है। यह पहली बार नहीं है, जब दोनों एक साथ सरकार बनाने के लिए साथ आगे आए हैं। इससे पहले भी कई बार कोशिश हुई है, लेकिन बात किसी आम सहमति तक नहीं पहुंच सकी। इस पर दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं।